नए साल के ग्रीटिंग्स कार्ड्स
वह छूकर देखने और महसूस करने का आलम भी बड़ा रोचक होता था. जी हाँ, गुलाब और कई तरह के फूलों वालो से सुसज्जित नए साल के ग्रीटिंग्स कार्ड्स की बात कर रहा हूँ. हम लोगों का नव वर्ष मनाने का तरीका शायद सब का एक जैसा ही था. दिसंबर महीने के आखिरी दो हफ्तों में तरह तरह के रंग बिरंगे सीन-सीनेरियों वाले, दिल वाले, कबूतर और शांति के प्रतीक वाले, कुछ हाथ से बने सीसन्स कार्ड्स को खरीदने और डाक द्वारा भेजने में व्यस्त रहते थे. बड़े ही प्यार और स्नेह से रंग बिरंगी स्केच पेंस से कार्ड्स में सन् देश लिखा जाता था. बहुत लोग अपनी रचित कविता, गीत या शायरी भी लिख डालते थे. लिफ़ाफ़ा को कैमल ब्रांड के गोंद से चिपका या फिर पोस्ट ऑफिस के हलके नीले या हरे रंग के लई से चिपका, उसके ऊपर डाक टिकत को जीभ से गीला कर दे फटा-फट.… अब अंतिम काम सब लिफ़ाफ़े को अलग अलग पोस्ट बॉक्स में डाल नए साल की शुरुआत होती थी. पुरे साल में सबसे ज्यादा अगर कोई प्रिय लगता था तो वो थे डाकिया बाबु। अपनी साईकल की घंटी बजाई नहीं की सब के सब दरवाजे के बाहर। अरे ये ग्रीटिंग कार्ड मेरे होगा, अरे नहीं हटो ये मेरा है.… बस सब के मन में ख़ुशी की लहर. कुछ...