तिरंगे के रंगो में देखा है -एक सपना
तिरंगे के रंगो में देखा है -एक सपना आने वाला कल होगा, निर्भिक सब कुछ होगा अपना कच्ची धुप में खिलेंगे, खेलेंगे और खिलखिलायेंगे जिन खुशियों के लिए तरसती थी आँखें सब मिल-जुल बढ़ेंगे ऐसा कल हो अपना धर्म-जाति का नाम न लेंगे छोटे-बड़े में द्वेष न होंगे ऐसा देश हो अपना नेता-नीति की बात न होंगी मानव सेवा ही धर्म हो अपना बड़े-बूढ़े मार्गदर्शक हो अपने हँसता हो बचपन अपना पैसे के मोल न होंगे स्नेह-भाव हो पथिक अपना 'आसरा' की सोच है ऐसी सुन्दर सजता सपना तिरंगे के रंगो में देखा है -एक सपना