रावण के दर्द को महसूस किया है.....

मैंने महसूस किया है
उस जलते हुए रावण का दुःख
जो सामने खड़ी भीड़ से
बारबार पूछ रहा था.....
"तुम में से कोई राम है क्या?"
मैंने महसूस किया है
उस जलते हुए रावण का दुःख
जब भीड़ से कुछ भी जवाब न मिला तो
रावण फिर एक बार उदास हो
अपने आँशुओं को पोछते हुए
सिर्फ यहीं बुदबुदा पाया की
काश! राम होते तो रावण का क़द्र करना जानते
यहाँ तो सभी अपने अंदर के रावण को मार नहीं सकते
इसलिए मेरा पुतला बना,
अपने अहंकार को जगा, अंदर के आग को और भड़का
मुझे जलाने में लगे हैं
मैंने महसूस किया है
उस जलते हुए रावण का दुःख
जब मंच के पीछे बैठा एक गरीब
रावण के आवाज़ में दहाड़ता है तो
उसे अपने भूख मिटने का एहसास होता है
जब-जब रावण जलेगा तब-तब उसकी जीविका चलेगी
रावण तो हर बार जलना चाहिए, परन्तु
किसी राम के हाथ, न की 'राम' रुपी रावण के हाथ
मैंने महसूस किया है
उस जलते हुए रावण का दुःख

(ऊपर के पांच पंक्ति किसी और से लिया गया गया है)

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