सहभागिनी भी और संगिनी भी।
वह सहभागिनी भी है और संगिनी भी।
उसके हाथ ईट के चूल्हे भी बनाते हैं और पति के साथ दिहाड़ी पर ईट भी ढोते हैं।
इस कोहरे - से ढके सुबह में अपने बच्चे और पति को चूल्हे पर पकी, गर्मागर्म रोटी खिला रही है और साथ ही अपने लिए टिफिन का बंदोबस्त भी कर रही है।
खुद पतली-सी शॉल ओढ़े, अपने पति और बच्चे को सिर से पैर तक मोटे उनी कपड़े से ढक रखी है।
उसने अपने थाली में लाल मिर्च-नमक और रोटी, नाश्ते के लिए रखा है और पति और बच्चे के लिए थाली में, तरकारी, अचार और रोटी सजा रखी है।
इन सबके बीच, उसके चेहरे पर तेज़ है, खुशी है और एक प्रकार की संतुष्टि है।
यह चमक और तेज शायद इसलिए क्योंकि वो अपनी जिम्मेदारियों को बहुत अच्छे से निभा पा रही है।
अरे ये क्या? दूर से ये कैसी आवाज आ रही है?
कुछ सभ्रांत परिवार के महिलाओं की आवाज - नारी सशक्तिकरण के लिए महिलाएं जागे!
अपना हक मांगे, इस समाज से। जागो बहन जागो!
इन सभी को आकर इस 'एंपावर्ड' महिला से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है या इसे भी अपने साथ बर्गलाने की जरूरत है?
ये हम सबके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
पर एक बात तो है कि जब तराजू पर महिला और पुरुष को बराबर तौलने की कोशिश करते हैं तो कहीं न कहीं महिलाओं की ओर पलड़ा झुकता दिखता है।
आगे आप सभी खुद ही समझदार हैं। सम्मान करना सीखें, शक्ति आपके साथ होगी।
(उपरोक्त लेखनी एक सच्ची घटना है जो लेखक ने आज अनुभव किया है)
इस कोहरे - से ढके सुबह में अपने बच्चे और पति को चूल्हे पर पकी, गर्मागर्म रोटी खिला रही है और साथ ही अपने लिए टिफिन का बंदोबस्त भी कर रही है।
खुद पतली-सी शॉल ओढ़े, अपने पति और बच्चे को सिर से पैर तक मोटे उनी कपड़े से ढक रखी है।
उसने अपने थाली में लाल मिर्च-नमक और रोटी, नाश्ते के लिए रखा है और पति और बच्चे के लिए थाली में, तरकारी, अचार और रोटी सजा रखी है।
इन सबके बीच, उसके चेहरे पर तेज़ है, खुशी है और एक प्रकार की संतुष्टि है।
यह चमक और तेज शायद इसलिए क्योंकि वो अपनी जिम्मेदारियों को बहुत अच्छे से निभा पा रही है।
अरे ये क्या? दूर से ये कैसी आवाज आ रही है?
कुछ सभ्रांत परिवार के महिलाओं की आवाज - नारी सशक्तिकरण के लिए महिलाएं जागे!
अपना हक मांगे, इस समाज से। जागो बहन जागो!
इन सभी को आकर इस 'एंपावर्ड' महिला से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है या इसे भी अपने साथ बर्गलाने की जरूरत है?
ये हम सबके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
पर एक बात तो है कि जब तराजू पर महिला और पुरुष को बराबर तौलने की कोशिश करते हैं तो कहीं न कहीं महिलाओं की ओर पलड़ा झुकता दिखता है।
आगे आप सभी खुद ही समझदार हैं। सम्मान करना सीखें, शक्ति आपके साथ होगी।
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