आओ बैठ कर दो-चार बातें कर लें..
आओ बैठ कर दो-चार बातें कर लें.. भागती ज़िन्दगी से कुछ पलों को चुरा थोड़ा आराम कर लें.. कुछ तुम अपनी कहना, कुछ मेरी सुनना.. एक दुसरे का दर्द कुछ यूं बाँट लें.. सबने अपनी कही, किसी और की न सुनी.. आओ शब्दों की बानगी बुन लें.. साथ गुजारे कुछ लम्हों को याद कर लें.. क्या याद है तुम्हें ये दरख़्त, इसकी छाँव? बैठ कर भरी दोपहर में, इसी के नीचे.. भविष्य को संवारा करते थे.. आज भी उन हंसीं पलों को याद कर, खुश हो लेता हूँ.. चलो फिर से दोहराते हैं, उन घड़ियों को.. आओ बैठ कर दो-चार बातें कर लें.. भागती ज़िन्दगी से कुछ पलों को चुरा थोड़ा आराम कर लें..