बड़ी मासूमियत से भगवान से बात की है उन्होने....


गुलज़ार साहब की एक नज़्म है......बड़ी मासूमियत से भगवान से बात की है उन्होने....

चिपचिपे दूध से नहलाते हैं....आंगन में खड़ा कर के तुम्हें...
शहद भी.. तेल भी.... हल्दी भी... ना जाने क्या क्या...
घोल के सर पे लुंढाते हैं... गिलसियां भर के....
औरतें गाती हैं जब तीव्र सुरों में मिल कर
पांव पर पांव लगाये खड़े रहते हो......इक पथरायी सी मुस्कान लिये
बुत नहीं हो तो परेशानी तो होती होगी ....जब धुआं देता.. लगातार पुजारी
घी जलाता है कई तरह के छौंके देकर.....इक जरा छींक ही दो तुम....
तो यकीं आए कि..... सब देख रहे हो .....


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