पूछने में क्या जाता है ???
आज कल हम सबने 'टाटा स्काई' की ऐड देखी होगी जिसमे कस्टमर एक दुसरे
से बात करते हैं और बोलते हैं की डिस्काउंट के लिए एक बार कंपनी से बात करने में
क्या जाता है. इससे उन्हें डिस्काउंट मिल जाती है.
कल की बात है जब मैं कुछ खरीदारी के लिए अपने पापा के साथ द्वारका सेक्टर -६ मार्केट गया था. पापा यहाँ के लाइफ स्टाइल को देख कर अच्चम्भित हो और मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. इसका कारण जानने कि कोशिश की तो पता चला की माज़रा कुछ और था. एक फल वाला अपने ठेले (रेरी) पर सेब, अंगूर, कीनू, नारंगी, आदि बेच रहा था. मैंने जब उससे सेब के दाम पूछे तो १२० रु. किलो बताया. मुझे अपने सन्डे मार्केट से थोडा महंगा लगा सो मैं चुप हो गया. अभी मैं कुछ कम करवाने की कोशिश करता ( बचपन से बारगेनिंग की आदत है.) तभी एक बड़ी सी कार ( ब्रांड - फोर्चुनर ) से एक ३०- ४० वर्ष की खूबसूरत सी महिला उतरी. उसे देख लग रहा था जैसे वो खुद में बहुत व्यस्त हो और अपने अस्त्र - शस्त्र ( मोबाइल - दो या तीन , चश्मा, एक छोटा सा पर्स, एक कंधे से लटकता लेदर बैग और अपने दुपट्टा) को सँभालते हुए उस फल वाले बुजुर्ग भैया से पूछा की ये रेड वाले एप्पल किस रेट का दे रहा है? फल वाले भैया का तेवर बदल चूका था. अब वो एक दम सीधे खड़े हो कर अपनी एक्सेंट को बदलते हुए एक दम तपाक से बोला - मैडम ये इम्पोर्टेड एप्पल १८० (180) रु. केजी है. भैया थोडा कम करो न प्लीज .. २ केजी लुंगी. फल वाले भैया ने न आओ देखा न ताओ और रेट बता दिया - मैडम एक रेट १६० रु. केजी लगेगा. ठीक है तुम २ केजी ये स्टिकर्स वाले देदो - मैडम ने अपने पर्स से ५०० रु. के एक खरखराता हुआ नोट निकला और अपने मोबाइल पे किसी से बात करने लगी. मैडम का ड्राईवर आया और सेब गाडी में रख, बचे रुपये अपने मेम साहिबा को पकड़ा वहां से चलता बना.
अब मेरी बारी थी, उसी सेब के चट्ठ्कते लाल रंग को फीका करने की. मैं बोला भैया सेब तो हर जगह १०० रु. किलो मिल रहा है और आप महंगा बता रहे हो? फल वाला भैया अब फिर से बुजुर्ग सा दिखने लगा था और चेहरे की रौनक फीकी पड़ गयी थी...शायद ये मेरे से मिलने और बात करने का असर था. उसने अपने ठेले के नीचे से एक पानी का बोतल निकला और दो घूंट पानी पीते हुए बहुत ही सरलता से मेरे पापा की ओर देखते हुए बोला - जानते हैं मालिक? इहा अगर हम रेट कम करके बोलेंगे न त सब समझेगा की 'माल' ख़राब है. हम लोग त जानते हैं लोग के देख कर रेट बताते हैं. का करे आपही बताईये .. अब आप लोग त पढ़े लिखे हैं .. देखे न कैसे उ मैडम आया आ दसे रु. कम करके हम सौदा महंगा बेच दिए.
हमने वहां से सेब नहीं खरीदी और मार्केट का नजारा ले घूम-फिर कर अपने घर वापस आ गए.
कल की बात है जब मैं कुछ खरीदारी के लिए अपने पापा के साथ द्वारका सेक्टर -६ मार्केट गया था. पापा यहाँ के लाइफ स्टाइल को देख कर अच्चम्भित हो और मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. इसका कारण जानने कि कोशिश की तो पता चला की माज़रा कुछ और था. एक फल वाला अपने ठेले (रेरी) पर सेब, अंगूर, कीनू, नारंगी, आदि बेच रहा था. मैंने जब उससे सेब के दाम पूछे तो १२० रु. किलो बताया. मुझे अपने सन्डे मार्केट से थोडा महंगा लगा सो मैं चुप हो गया. अभी मैं कुछ कम करवाने की कोशिश करता ( बचपन से बारगेनिंग की आदत है.) तभी एक बड़ी सी कार ( ब्रांड - फोर्चुनर ) से एक ३०- ४० वर्ष की खूबसूरत सी महिला उतरी. उसे देख लग रहा था जैसे वो खुद में बहुत व्यस्त हो और अपने अस्त्र - शस्त्र ( मोबाइल - दो या तीन , चश्मा, एक छोटा सा पर्स, एक कंधे से लटकता लेदर बैग और अपने दुपट्टा) को सँभालते हुए उस फल वाले बुजुर्ग भैया से पूछा की ये रेड वाले एप्पल किस रेट का दे रहा है? फल वाले भैया का तेवर बदल चूका था. अब वो एक दम सीधे खड़े हो कर अपनी एक्सेंट को बदलते हुए एक दम तपाक से बोला - मैडम ये इम्पोर्टेड एप्पल १८० (180) रु. केजी है. भैया थोडा कम करो न प्लीज .. २ केजी लुंगी. फल वाले भैया ने न आओ देखा न ताओ और रेट बता दिया - मैडम एक रेट १६० रु. केजी लगेगा. ठीक है तुम २ केजी ये स्टिकर्स वाले देदो - मैडम ने अपने पर्स से ५०० रु. के एक खरखराता हुआ नोट निकला और अपने मोबाइल पे किसी से बात करने लगी. मैडम का ड्राईवर आया और सेब गाडी में रख, बचे रुपये अपने मेम साहिबा को पकड़ा वहां से चलता बना.
अब मेरी बारी थी, उसी सेब के चट्ठ्कते लाल रंग को फीका करने की. मैं बोला भैया सेब तो हर जगह १०० रु. किलो मिल रहा है और आप महंगा बता रहे हो? फल वाला भैया अब फिर से बुजुर्ग सा दिखने लगा था और चेहरे की रौनक फीकी पड़ गयी थी...शायद ये मेरे से मिलने और बात करने का असर था. उसने अपने ठेले के नीचे से एक पानी का बोतल निकला और दो घूंट पानी पीते हुए बहुत ही सरलता से मेरे पापा की ओर देखते हुए बोला - जानते हैं मालिक? इहा अगर हम रेट कम करके बोलेंगे न त सब समझेगा की 'माल' ख़राब है. हम लोग त जानते हैं लोग के देख कर रेट बताते हैं. का करे आपही बताईये .. अब आप लोग त पढ़े लिखे हैं .. देखे न कैसे उ मैडम आया आ दसे रु. कम करके हम सौदा महंगा बेच दिए.
हमने वहां से सेब नहीं खरीदी और मार्केट का नजारा ले घूम-फिर कर अपने घर वापस आ गए.
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